चकिया
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देशी चकिया की एक फोटो जिसे चकरी, चक्की के नाम से भी जाना जाता है |
सबसे पहले जानते हैं आखिर चकिया कहा से आई ?
पहली शताब्दी के दौरान रोमनों द्वारा ब्रिटेन में मिलस्टोन पेश किए गए थे और तीसरी शताब्दी से वहां व्यापक रूप से उपयोग किए गए है ।
चक्की को पत्थरों से बनाया जाता है
चकिया (चक्की) को एक पथरीली चट्टान से बनाया जाता है । हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र काफी पहाड़ पत्थर पाया जाता है कुछ किसान तो खुद ही पत्थर चकिया को बनाते है। यह चकिया आपको बाजार में भी मिल सकते है जैसे की छोटे कस्बों गांव से जुड़े हुए बाज़ार पर भी उपलब्ध हो जाते है जिन्हे हम तुरंत दुकानदार से खरीद सकते है ।
अनाज और मसालों को पीसने के लिए पीसने वाले चकिया (चक्की) का उपयोग किया जाता था। इनमें एक स्थिर पत्थर का सिलेंडर होता है जिस पर एक छोटा पत्थर का सिलेंडर घूमता है। घरेलू उपयोग के लिए छोटे वाले, दो लोगों द्वारा संचालित किए जाते है। बड़े लोग, सामुदायिक या व्यावसायिक उपयोग के लिए, ऊपरी सिलेंडर को घुमाने के लिए पशुधन का उपयोग करते है।
चकिया की परंपरा काफी सालों से भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में चलती आ रही है हम गांवों में चकिया का प्रयोग गेहूं के बीज से दलिया , आटा तैयार करने के काम में लेते है और भी विभिन्न कार्यों के लिए चकरी का इस्तमाल किया जाता है। चकिया को चकरी भी कहा जाता है।
आधुनिक समय में हम सब मशीनों का इस्तमाल ज्यादा करते है इसलिए आज कल आपको बहुत मुस्किल से चकिया से तैयार किया हुए अनाज मिलेगा।
क्या आप के घर में अभी भी चकिया का प्रयोग किया जाता है?
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