बुंदेलखंड की मिट्टी को फिर से ज़िंदा कर रहे हैं – प्राकृतिक खेती और देसी उत्पादों की ताक़त

 

"तीन बुंदेलखंडी किसान—एक बुजुर्ग पुरुष, एक पुरुष किसान कंधे पर फावड़ा लिए हुए, और एक महिला—खेत की पृष्ठभूमि में खड़े हैं। ऊपर लिखा है 'बुंदेलखंड की मिट्टी को फिर से जिंदा कर रहे हैं' और नीचे लिखा है 'प्राकृतिक खेती और देसी उत्पादों की ताकत'।"



भारत के हृदयस्थल बुंदेलखंड की धरती ने संघर्ष और संकल्प की कई कहानियां देखी हैं। लेकिन बीते कुछ दशकों में इस क्षेत्र ने सूखा, उपजाऊ मिट्टी का क्षय और किसानों की परेशानियों का सामना किया है। इन चुनौतियों के बीच एक नई उम्मीद जन्म ले रही है — प्राकृतिक खेती और देसी, बिना मिलावट वाले उत्पादों के रूप में।

बुंदेलखंडी एग्री में हम सिर्फ एक ब्रांड नहीं बना रहे हैं — हम एक आंदोलन चला रहे हैं। ऐसा आंदोलन जो हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटने, खाद्य शुद्धता को बनाए रखने, और ग्रामीण किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाता है।


प्राकृतिक खेती क्या है — और आज इसकी


ज़रूरत क्यों है?

प्राकृतिक खेती का मतलब है बिना रसायन, बिना कीटनाशक, और बिना ज़हरीली मशीनों के खेती करना। यह हमारी प्राचीन भारतीय कृषि परंपरा पर आधारित है, जिसमें मिट्टी, पर्यावरण और किसान — तीनों की सेहत की चिंता की जाती है।


बुंदेलखंड की ज़मीन वर्षों से रासायनिक खादों और कीटनाशकों के बोझ तले दबी रही है। इससे उत्पादन तो बढ़ा नहीं, उल्टा किसान कर्ज़ में डूबते गए और मिट्टी बेजान हो गई।


हमने जब किसानों को इन पद्धतियों से जोड़ा:

जीवामृत (देशी गाय के गोबर, गौमूत्र, गुड़ और मिट्टी से बनी खाद)

बीजामृत (प्राकृतिक बीज उपचार)

मल्चिंग (जैविक अवशेषों से खेत को ढंकना)

नीम और देशी गाय के घोल से कीट नियंत्रण


…तो नतीजे शानदार रहे।


उदाहरण:

चित्रकूट के एक गांव में हमारे साथ जुड़े मूंग उत्पादक किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाने के सिर्फ एक सीजन में ही मिट्टी की हालत में 25-30% सुधार देखा। सिंचाई की ज़रूरत कम हुई, खरपतवार भी नियंत्रित रहा, और रासायन की कोई ज़रूरत नहीं पड़ी।

हमारे उत्पाद — हमारी सोच का आईना

बुंदेलखंडी एग्री के उत्पाद सीधे उन किसानों से लिए जाते हैं जो प्राकृतिक तरीकों से खेती करते हैं। हर पैकिंग में सिर्फ खाना नहीं — एक कहानी है, एक वादा है।


1. बुंदेलखंडी बिना पॉलिश देसी साबुत मूंग

यह मूंग चित्रकूट के खेतों में प्राकृतिक खाद और देसी बीज से उगाई जाती है। कोई पॉलिश नहीं, कोई रसायन नहीं। सिर्फ धूप में सुखाई गई, हाथों से छानी गई, और वैसे ही पैक की गई जैसे आपकी दादी बनाया करती थीं।


ग्राहक अनुभव:

भोपाल से एक ग्राहक ने बताया कि हमारी मूंग जल्दी गलती है और उसका स्वाद “पुराने समय की याद दिला देता है।”


2. बुंदेलखंडी गरम मसाला

यह मसाला छोटे बैच में हाथों से साफ किए हुए मसालों से बनाया जाता है — जैसे देशी जीरा, साबुत धनिया, काली मिर्च। धीरे-धीरे पिसा जाता है ताकि इसकी खुशबू और तेल नष्ट न हो।

तुलना:

बाजार में मिलने वाले मसाले तेज मशीनों से पीसे जाते हैं, जिससे उनका स्वाद उड़ जाता है। हमारा गरम मसाला सिर्फ तीखा नहीं — खास स्वाद भी देता है।


हमारा सपना: एक मॉडल फार्म


हम चित्रकूट में एक 28,000 वर्ग फुट का प्राकृतिक फार्म बना रहे हैं। यह सिर्फ खेती नहीं — एक संपूर्ण सस्टेनेबल एग्रीकल्चर सेंटर होगा:

देशी गायों का डेयरी फार्म — गोबर व गौमूत्र से खाद, साथ में शुद्ध A2 दूध।

मछली पालन — समेकित खेती के लिए।

आंवला, सहजन, अमरूद जैसे पेड़ — ज़मीन को उपजाऊ बनाने के लिए।

सोलर पंप से सिंचाई — पर्यावरण के अनुकूल।

मसाला ग्राइंडिंग, दल मिल, कच्ची घानी सरसों तेल इकाई — एक ही जगह।


यह फार्म एक आत्मनिर्भर बुंदेलखंड का मॉडल होगा।

आर्थिक फायदा भी साफ़ है


लोग सोचते हैं कि प्राकृतिक खेती में उत्पादन कम होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि लागत बहुत कम होती है और मुनाफा बढ़ जाता है।


उदाहरण:

रासायनिक खेती में मूंग की लागत प्रति एकड़ ₹12,000 तक जाती है। वही प्राकृतिक तरीके से ₹4,000 से भी कम में हो जाती है। और उत्पादन लगभग बराबर। यानि सीधा मुनाफा।

आपका एक छोटा कदम — बड़ी क्रांति का हिस्सा


जब आप बुंदेलखंडी एग्री का कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, तो आप:

स्थानीय, देसी किसानों को समर्थन दे रहे हैं

स्वस्थ और असली खाने को चुन रहे हैं

मिट्टी, पानी और पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं


आपका हर पैकेट एक किसान की मुस्कान और प्राकृतिक भारत की दिशा में एक कदम है।

आइए, इस आंदोलन में शामिल हों।

स्वस्थ खाएं। देसी अपनाएं। बुंदेलखंड को हरा-भरा बनाएं।

बुंदेलखंड की मिट्टी से उपजे 100% देसी और प्राकृतिक उत्पाद अब Amazon पर उपलब्ध हैं।
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टीम बुंदेलखंडी एग्री

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