रासायनिक खादों से दूर, मिट्टी को लौटाएं उसकी असली ताकत


एक भारतीय किसान मिट्टी को ध्यान से देखते हुए घुटनों के बल बैठा है। उसके पास टमाटर, गाजर और आलू जैसी हरी-भरी फसलें उग रही हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ज़मीन अगर ज़िंदा है, तो खाना भी ज़िंदा होता है। ऊपर लिखा है: "If the soil is alive, the food is alive."


“मिट्टी अगर ज़िंदा है, तो अन्न भी ज़िंदा है।”

आज की खेती में सबसे बड़ी चुनौती है – मिट्टी की गिरती हुई गुणवत्ता। लगातार रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल ने ज़मीन को कमजोर और निर्जीव बना दिया है। लेकिन अब वक्त है प्राकृतिक खेती की ओर लौटने का – जहां मिट्टी को उसका जीवन, उसका संतुलन वापस मिले।


रासायनिक खादों का प्रभाव

मिट्टी की जैविक संरचना नष्ट हो जाती है

लाभदायक कीट और जीवाणु मर जाते हैं

ज़्यादा उत्पादन के चक्कर में लंबे समय में उपज गिरने लगती है

किसानों की लागत बढ़ती है, मुनाफा घटता है


प्राकृतिक खेती से मिट्टी में जान लौटती है

प्राकृतिक खेती में हम उपयोग करते हैं –

जैविक खाद (गोबर, वर्मी कंपोस्ट)

जीवामृत और घनजीवामृत

देशी बीज और फसल चक्र (Crop rotation)

मल्चिंग और हरी खादें

इन उपायों से मिट्टी में सूक्ष्म जीवाणु (microorganisms) पनपते हैं, जो पोषक तत्वों को मिट्टी में बनाए रखते हैं और फसल को प्राकृतिक तरीके से मज़बूत बनाते हैं।

हमारी ज़िम्मेदारी – मिट्टी बचाओ, जीवन बचाओ


Bundelkhandi Agri सिर्फ उत्पाद नहीं बेचता, हम मिट्टी की सेवा कर रहे हैं। हर बार जब आप हमारा उत्पाद खरीदते हैं, आप एक ऐसे किसान को सहयोग देते हैं जो बिना रासायनिक खाद के खेती कर रहा है।

क्या आप जानते हैं आपकी थाली में जो दाल है, वो ज़मीन के कितने सालों की मेहनत का फल है?

चलिए, साथ मिलकर मिट्टी को फिर से ताकतवर बनाएं।


प्राकृतिक खेती से जुड़े हमारे उत्पाद देखें (Link here)

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