बुंदेलखंड की रसोई से – परंपरागत रेसिपी जो आज भी प्रासंगिक हैं

एक कलात्मक चित्रण जिसमें पारंपरिक बुंदेलखंडी व्यंजन दिखाए गए हैं। चित्र में गोल आकार की गेहूं के आटे की बत्तियाँ, एक कटोरी पीली दाल, हरी पत्तेदार सब्ज़ी का करी, एक छोटी कटोरी तीखी चटनी और दो लाल मिर्चें साइड में रखी हैं। हिंदी में लिखा गया है "परंपरागत रेसिपी जो आज भी पसंदीदा हैं।" चित्र के गर्म और मिट्टी के रंगों से एक पुरानी और देहाती अहसास मिलता है।

भारत की हर राज्य और क्षेत्र की अपनी खासियतें और पारंपरिक रेसिपीज़ हैं, जो ना केवल स्वादिष्ट होती हैं बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र की रसोई में भी कई ऐसी पारंपरिक रेसिपी हैं, जिनका स्वाद और पोषण आज भी लोगों को आकर्षित करता है। इन रेसिपीज़ में देशी मसाले, सादा लेकिन स्वादिष्ट भोजन और प्राकृतिक उत्पाद शामिल होते हैं, जो स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाने में मदद करते हैं।

Bundelkhandi Agri की शुद्ध और प्राकृतिक देशी मसाले और दालें इन पारंपरिक रेसिपीज़ को और भी स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाते हैं। आज हम आपको बुंदेलखंड की एक खास रेसिपी बुंदेली खिचड़ी और कुछ और परंपरागत व्यंजनों के बारे में बताएंगे, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक और पोषक हैं, जितने पहले थे।

1. बुंदेली खिचड़ी – एक पारंपरिक और हेल्दी डिश

एक कटोरी में बुंदेली खिचड़ी की दिखावट, जिसमें पीली खिचड़ी के ऊपर हरे मटर के दाने और एक लाल मिर्च के टुकड़े के साथ एक ताजगी का अहसास हो रहा है। यह एक पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन है, जो देसी मसालों और ताजगी से भरपूर है। चित्र में "बुंदेली खिचड़ी: एक पारंपरिक और हेल्दी डिश" के रूप में संदेश दिया गया है।

बुंदेली खिचड़ी बुंदेलखंड की एक बेहद लोकप्रिय और स्वादिष्ट रेसिपी है। यह स्वाद और स्वास्थ्य का बेहतरीन मिश्रण है। इसमें देशी मसाले, दालें, और चावल डालकर इसे पकाया जाता है, जो शरीर को ऊर्जा और ताजगी प्रदान करता है।

सामग्री:

1 कप बेसमती चावल

1/2 कप मूंग दाल (Bundelkhandi Agri की शुद्ध मूंग दाल)

1 छोटा चम्मच जीरा

1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/2 चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट

1 छोटा चम्मच हींग

1-2 हरी मिर्च (कटी हुई)

1 छोटा चम्मच घी (Bundelkhandi Agri का शुद्ध देशी घी)

नमक स्वाद अनुसार

विधी:

1. सबसे पहले, चावल और मूंग दाल को अच्छे से धोकर 15-20 मिनट के लिए पानी में भिगो दें।

2. एक पैन में घी गर्म करें और उसमें जीरा, हींग, और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर अच्छे से भूनें।

3. अब उसमें हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, और कटी हुई हरी मिर्च डालें और अच्छे से मिला लें।

4. फिर इसमें भिगोई हुई चावल और दाल डालें, और इसे 2-3 मिनट तक भूनें।

5. अब इसमें 2 कप पानी डालकर इसे उबालने दें। फिर गैस धीमी करके 15-20 मिनट तक पकने दें, जब तक चावल और दाल दोनों अच्छे से पक न जाएं।

6. आपकी बुंदेली खिचड़ी तैयार है। इसे घी और ताजे धनिया पत्ते के साथ सजाकर गरम-गरम परोसें।

2. बुंदेली कढ़ी – एक प्राचीन स्वादिष्ट सूप

बुंदेली कढ़ी भी बुंदेलखंड की एक और लोकप्रिय रेसिपी है। यह एक स्वादिष्ट और मसालेदार सूप होता है, जिसे दही और बेसन से बनाया जाता है। यह डिश न केवल पेट को हल्का करती है, बल्कि पाचन तंत्र को भी सुधारने में मदद करती है।

सामग्री:

1 कप बेसन (चने का आटा)

2 कप दही

1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

1 छोटा चम्मच जीरा

1/2 चम्मच धनिया पाउडर

1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1 चम्मच अदरक का पेस्ट

1 छोटा चम्मच हींग

1/2 चम्मच सौंफ

नमक स्वाद अनुसार

विधी:

1. सबसे पहले बेसन को दही में अच्छे से घोलकर उसमें थोड़ा पानी डालें, ताकि एक पतला घोल बन सके।

2. एक पैन में जीरा, सौंफ, और हींग को घी में तड़का लगाएं। फिर उसमें धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, और हल्दी पाउडर डालकर भूनें।

3. अब इसमें दही-बेसन का घोल डालें और इसे अच्छे से पकने दें। बीच-बीच में चलाते रहें, ताकि यह गाढ़ा न हो।

4. जब कढ़ी उबालने लगे, तो उसमें नमक डालें और 10-15 मिनट तक पकने दें।

5. आपकी बुंदेली कढ़ी तैयार है। इसे चावल के साथ गर्मागर्म परोसें।

निष्कर्ष:

बुंदेलखंड की रसोई में कई ऐसी परंपरागत रेसिपी हैं, जो आज भी हमारे आहार में शामिल की जा सकती हैं। इन रेसिपीज़ में देशी मसाले और सादा आहार होता है, जो शरीर को पौष्टिकता और स्वाद दोनों प्रदान करते हैं।

Bundelkhandi Agri के शुद्ध देशी मसाले और दालें इन रेसिपीज़ को बनाते हैं और भी स्वादिष्ट और पोषक। तो क्यों न आप भी इन परंपरागत रेसिपीज़ को आजमाएं और अपनी रसोई को सेहतमंद और स्वादिष्ट बनाएं!

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